'Gita Quote In Hindi' गीता श्री कृष्ण के द्वारा दिया गया अर्जुन को एक महत्वपूर्ण ज्ञान है जो की मनुष्य जीवन को सीखना चाहिए कि किस परिस्थिति में क्या करना चाहिए और गीता में कम पर अधिक प्रभाव किया है. मनुष्य को कभी भी बुरा कर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि बुरा कर्म का फल भी बुरा होता है,
श्री कृष्णा बोलते हैं कि अर्जुन तुम अपना कम करो चिंता मत करो फल प्रभु पर छोड़ दो . गीता में 700 श्लोक हैं, जिसे हिंदुओं का महत्वपूर्ण ग्रंथ भी कहा जाता है और गीता सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं मुझे लगता है कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है ।
Gita Quote In Hindi |
इस धरती के हर इंसान को पढ़ना और समझना चाहिए ताकि वो अपना जीवन का सुख और सफलता को पा सकता है । श्रीमद भगवद गीता मे कुल 700 श्लोक है , जिसे सबको पढ़ना थोड़ा मुस्किल है, इसलिए हम आपलोगों के लिए '51 Gita Quote In Hindi' जिसे हम सभी को श्रीमद भगवद गीता के 51 विचारों को जानना चाहिए ।
'Gita quote in hindi' भगवद गीता 51 विचार
1) जब कुछ आपके साथ गलत हो रहा हो तो उसे बिल्कुल भी सहन ना करे, बल्कि उसे शुरू मे ही रोक दे एक बार कुछ सह जाते है, तब लोग वो सब बार -बार करेंगे । कुछ सहन करने पर लोग आपको महान नहीं समझते बल्कि कमजोर समझते है , बल्कि और बुरा व्यवहार शुरू कर देंगे । अगर आप अधिक अच्छा बनने का कोशिश करोगे तो लोग आपको कुचल कर रख देंगे । आपको महान नहीं समझेंगे , लोग आपको कमजोर और बेवकूफ समझेंगे । इस लिए गलती होने पर उसी वक्त डट दे ।2 ) जो इंशन सबसे ज्यादा रिस्ते नाता निभाता है और उनके गलतियों पर कुछ नहीं बोलत है, सबसे ज्यादा लोग उसे ही बेवकूफ समझते है, सबसे ज्यादा गलिया भी उसे ही देते है, और सबसे ज्यादा फायदा भी लोग उसी से उठाते है, इस लिए रिस्ते नाते ये सब मे पड़ कर कभी अपना जिंदगी खराब नहीं करना ।3) जिसने आपको एक बार चोट पहुचाई है या धोखा दिया है या कोई हानी पहुचाई है उस इंसान को दूसरा मोका कभी नहीं देना चाहिए । चाहे वो कितना ही कहे की मैं अब बदल गया हूँ, उसे अपनी जिदगी में कभी वापस नहीं आने देना चाहिए, किसी को माफ करना अच्छी बात होती है , लेकिन किसी को माफ करके उसे जिंदगी से निकाल देना और किसी की गलतियों को भुला कर उसे वापस मोका देना दोनों बातों मे बहुत अंतर होता है । जिस इंसान ने आपको दुख पहुचाय हो उसे दूसरा मोका कभी नहीं देना ।4) आपके अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है, अगर अच्छे कर्म किए हो तो किसी मुस्किल समय में आपको बच ही लेगा अगर आप गलत काम या पाप किया है तब उसे एक ना एक दिन पाप का फल भोगना ही पड़ेगा ।5)जिंदगी मे धोखा अपने ही देते है , क्योंकि आपके अपने को ही आपके कमजोरियों के बारे में पता होता है, बाहर वाला धोखा नहीं दे सकता, क्योंकि उसको पता ही नहीं की आपको चोट कैसे पहुचना है ।6 कोई कुछ भी कहे, बस अपने आप को संता रखो, क्योंकि सूरज कितना भी तेज क्यों न हो, समुन्द्र नहीं सूखा सकता ।7) जहा आपका कोई किमत नहीं हो , वहाँ पर रुकना आनुचित है , चाहे वो किसी का घर हो या किसी का मन ।8) जब कोई हाथ और साथ दोनों ही छोड़ देता है तब कुदरत कोई ना कोई उंगली पकड़ने वाला भेज देता है, उन्ही का नाम कान्हा है ।9) जो मन को नियंत्रित नहीं करते है उनके लिए वह मन शत्रु के सामान काम करता है ।10 श्री कृष्ण कहते है, हे अर्जुन ! व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे11) सिर्फ दुनिया के सामने जीतने वाला ही विजेता नहीं होता, बल्कि किन रिस्तो के सामने कब और कहा हारना, यह जानने वाला भी विजेता होता है ।12 जो लोग बुद्धि को छोड़कर भावनाओ मे बह जाते है, उन्हे हर कोई मूर्ख बना सकता है ।13) वक्त से पहले मिली चीजे अपना मूल्य खो देती है और वक्त के बाद मिली चीजे अपना महत्व !14) मनुष्य को अपने कर्मों के संभावित परिणामों से प्राप्त होने वाली विजय या पराजय लाभ या हानी, परसंशा या दु:ख इत्यादि के बारे मे सोच कर चिंता से ग्रसित नहीं होना चाहिए ।'gita in hindi'
15 ) आत्मा पुराने शरीर को वैसे छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने पुराने कपड़े को उतार कर नये कपड़े को धारण करते है ।16 ) जैसे जल मे तैरती नाव को तूफान उसे लक्ष्य से दूर ले जाता है, वैसे ही इंद्रिय सुखी मनुष्य को गलत रास्ते की ओर ले जाता है ।17) आपका विश्वास एक पर्वत को भी खिसका सकता है लेकिन आपका मन का संदेह दूसरा पर्वत खड़ा कर सकता है ।18) हमारा खुद पर विश्वास होना बहुत ही जरूरी है, क्योंकि हम अपने रास्ते पर खुद चलते है।19) वक्त कभी भी एक जैसा नहीं रहता है, उन्हे रोना भी पड़ता है, जो बेवजह दूसरों को रुलाते है ।20)अपनी इच्छा शक्ति के माध्यम से अपने आपको नयी आकृति प्रदान करे । कभी भी स्वंय को अपनी आत्मा इच्छा से अपमानित न करे । इच्छा एक मात्र स्वयं का मित्र होता है, और इच्छा ही एक स्वयं का शत्रु है ।'bhagavad gita'
21) अपनी पीड़ा के लिए संसार को दोष मत दीजिए, अपने मन को समझाओ, तुम्हारे मन का परिवर्तन ही तुम्हारी दुख का अंत है ।22) श्री कृष्ण कहते है कि खुद को कमजोर कभी नहीं समझना चाहिए, अगर आप गिरते हो तो उठने का प्रयास करो, लड़ो, पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य करो अपना कर्म करो बाकी सब मुझ पर छोड़ दो ।23 ) हो सकता हो की हर दिन अच्छा ना हो, लेकिन हर दिन में कुछ ना कुछ अच्छा जरूर होता है ।24) धैर्य रखिए कभी -कभी आपको जीवन मे सबसे अच्छा पाने के लिए सबसे बुरे दौर से गुजरना पड़ता है ।25) रोना बंद करो और अपने तकलीफों से खुद लड़ना सीखो, क्योंकि साथ देने वाले भी श्मशान से आगे नहीं जाते ।26) समय जब न्याय करता है तब गवाहों का आवश्यकता नहीं पड़ता है ।27) एक उपहार तभी असली और पवित्र है, जब उसे ह्रदय से किसी सही व्यक्ति सही समय और सही जगह पर दिया जाए । और जब गिफ्ट देने वाला व्यक्ति के दिल मे उस गिफ्ट के बदले मे कुछ पाने की उम्मीद न हो ।28) सुंदरता आपकी दृष्टिकोण में होती है , किसी को कीचड़ मे खिला कमालभी लुभाता है, और किसी को चाँद मे भी दाग नजर आता है ।29) श्री कृष्ण कहते है की हे अर्जुन ! जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा पूरे विश्वास के साथ की इच्छा रखता है तब मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूँ30) उदय किसी का भी अचानक नहीं होता, सूर्य भी धीरे - धीरे निकलता है और ऊपर उठता है, धैर्य और तपश्या जिसमे है वही संसार को प्रकाशित कर सकता है ।'bhagavad gita quote'
31) श्री कृष्ण कहते है की हे !अर्जुन जो व्यक्ति अपने समान सर्वत्र सम देखता है चाहे वह दु:ख हो या सु सुख हो वह परम योगी माना जाता है ।32) अहंकार और संस्कार में फरक है, अहंकार दूसरों को झुकाकर खुस होता है, संस्कार स्वंय झुककर खुस होता है ।33) सेवा सबकी करो मगर आशा किसी से मत रखो , क्योंकि सेवा का सही मूल्य ईश्वर ही दे सकते है ।34 ) जब सत्य से असत्य की लड़ाई होगी तो सत्य अकेला खड़ा होगा और असत्य की फोज लंबी होगी, क्योंकि असत्य के पीछे मूर्खों का झुंड भी खड़ा होगा ।35 अकेले रहना तुम्हें यह भी सीखता है की वास्तव मे तुम्हारे पास स्वयं के अलावा और कोई भी नहीं है ।36) जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे और पराए अपने लगने लगे तो समझ लीजिए विनाश का समय आरंभ हो गया है ।37) क्रोध आने पर चिल्लाने के लिए ताकत नहीं चाहिय लेकिन, क्रोध आने पर चुप रहने के लिए खूब ताकत चाहिए ।38)जो आपका है वो आपको मिलकर ही रहेगा, चाहे फिर उसे छीनने के लिए पूरी कायनात एक हो जाए ।39)प्रेम शरीर की सुंदरता को देखा कर नहीं होता प्रेम तो ह्रदय से होता है, जहा दो ह्रदय मिल जाए वही प्रेम का जन्म होता है ।'shrimad bhagvad gita quotes in hindi'
40) किसी भी व्यक्ति को अच्छे से जाने बिना दूसरों की बाते सुनकर उसके प्रति कोई धारणा बना देना मूर्खता है ।41) अगर साफ नियत से मांग जाए, तो ईश्वर नसीब से बढ़कर देता है ।42) जब भी विनाश होने का प्रारंभ होता है, शुरुआत वाणी के संयम खोने से होता है ।43 ) जीवन मे सब कुछ खतम होने जैसा कुछ भी नहीं होता, हमेश एक नई शुरुआत हमारा इंतजार कर रही होती है ।44) जीवन में यदि खुश रहना है हो अधिक ध्यान उस चीज पर दे जो आपके पास है, उस पर नहीं जो दूसरों के पास है ।45) विपति मे धैर्य, वैभव में दया और संकट में सहनशीलता ही श्रेष्ठ व्यक्तियों की लक्षण है ।46) जो व्यक्ति स्पष्टऔर सीधी बात करता है, उसकी वाणी कठोर जरूर होती है लेकिन वह कभी किसी के साथ छल नहीं करता ।47) जो अच्छा लगे उसे ग्रहण करो , और जो बुरा लगे उसका त्याग, फिर चाहे वह विचार हो या कर्म हो या फिर मनुष्य हो ।48) बुराई बड़ी हो या छोटी हमेशा विनाश का कारण बनती है, क्योंकि नाव में छेद छोटा हो या बड़ा नाव को डूबा ही देता है ।49) परिवार और समाज दोनों ही बर्बाद होने लगता है जब समझदार मॉन और नासमझ बोलने लगता है ।50) किसी से भी हद से अधिक मोह नहीं करनी चाहिय, जिससे भी सबसे अधिक मोह लगांगे देखान एक दिन वही सबसे अधिक दु:ख देगा ।51) जब उम्मीद टूटने लगे कोई रास्ता दिखीई ना दे तो एक बार भगवद गीत की शरण जरूर ले लेना चाहिए । जय श्री कृष्ण
Conclusion:- तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उनके परिणाम और फलों में नहीं।
इसलिए श्री कृष्ण जी अर्जुन को बोलते हैं की तुम कर्म फल के चक्कर में मत पडो । तुम बस कर्म किए जा फल का चिंता मेरे ऊपर छोड़ दो।