Shabda alnkar: शब्दालंकार के भेद आज की इस लेख मे, मैं आप सभी को बताने जा रहा हूँ की शब्दालंकार के भेद और परिभाषा और उद्धरण सहित । इसे इंग्लिश में Figures Of Speech कहते है । इसका प्रयोग विशेष रूप से हिंदी कविता में सुंदर और प्रभावशील बनती है।
Shabda alnkar: शब्दालंकार के भेद ।
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
1) अनुप्रास अलंकार anuprasha alankar :-
जब एक ही वर्ण बार -बार आए तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते है । वर्ण वह जिसे तोड़ा जा नहीं सकता जैसे :- अ, ई, उ, किया इसे तोड़ा जा सकता है बिल्कुल नहीं ।
अनुप्रास अलंकार का उद्धरण :-
- चारु चंद्र की चंचल किरने खेल रही जल थल मे । इसमे 3 बार शुरुआत मे च या रहा है ।
- मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज बेश का उजियाला। इसमे 5 बार म या रहा है ।
2 यमक अलंकार ymak lankar :-
जब एक ही शब्द बार -बार आए तो उसे यमक अलंकार कहते है । वर्णों के मेल से शब्द बनते है वह जिसे तोड़ा जा जा सकता हो जैसे :- कब , कहा , कैसे , किया इसे तोड़ा जा सकता है बिल्कुल ।
क+अ +ब +=कब कुछ इस प्रकार
यमक अलंकार उद्धरण :-
- कनक कनक ते सौ गुणी मादकता अधिकाइ । इसमे दो बार कनक है ।
- काली घटा का घमंड घटा । इसमे दो बार घटा है
3 श्लेष अलंकार shlesh alankar
एक शब्द के अनेक अर्थ होते उसे श्लेष अलंकार कहते है ।
जैसे :-
- रहिमान पानी राखिए बिना पानी सब सुन पानी गए न उबरे मांस चुन ।
2 ) पानी का दूसरा अर्थ आभा तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है ।
एक शब्द मे अनेक अर्थ हो तो उसे श्लेष अलंकार कहते है ।
शब्द अलंकार न केवल साहित्य और कविता में प्रयोग करते हैं बल्कि इसका प्रयोग, भाषा संचार को दिलचस्प और सुंदर बनाने का प्रयोग किया जाता है जिससे किसी भी चीज को बहुत ही सुंदर तरीका से लिखा जा सकता है बोला जा सकता है सजावट जा सकता है फोकस किया जा सकता है।
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