birsa munda biography in hindi: बिरसा मुंडा कौन थे और ये कैसे बने आदिवासियों के भगवान ।

 आज की इस लेख में आपलोगो को बताऊंगा की बिरसा मुंडा कोन थे  । इसे झारखंड के लोग भगवान क्यों मानते है। ( birsa munda) बिरसा मुंडा झारखंड के रहने वाले थे जो झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक और आदिवासी नेता थे। 

और  इनका नारा किया था जो इनको सभी लोगो के दिलो में राज करने लगे। महान दार्शनिक चाणक्य ने अपने किताब अर्थशस्त्र  मे कहे थे कि आदि किसी दुसमन को परस्थ करना है तब उसे दुसमान के देश मे उसके समाज मे उसका संस्कृति का बिनास कर दो और कुछ एस ही बिनास हो रहा था हमारे बिरसा मुंडा के शासन मे अंग्रेजी के द्वारा हमारे संस्कृति हमारी सभ्यता को मिटाने का काम कर रही थी । birsa munda biography in hindi


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 birsa munda biography in hindi: कौन थे बिरसा मुंडा । 

  1. आदिवासियों के लिए भगवान  ( धरती आबा)
  2. गांधी से पहले गांधी .। ( इनका एक किताब भी है । )
  3. झारखण्ड के एकमात्र स्वतंत्रता सेनानी जिनकी तस्वीर भारत कि संसद मे लगी हुई है । 
  4. झारखण्ड के अधिकांश पर्यटन स्थल , इमारत ,राजकीय धरीहर एव क्षेत्र इन्ही के नाम पर स्थित है 

birsa munda biography in hindi: बिरसा मुंडा को भगवान क्यों मानने लगे लोग । 

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 मे खूंटी जिला मे हुआ उलीहतू गाँव मे होता है और इनका जन्म  बृहसपतिवार के दिन होता है इस लिए इसका नाम पड़ जाता है बिरसा इनके पिता का नाम था सुगना मुंडा माता का नाम था करमी हटु  उन दिनों रोजगार कि समस्या के करण उनके पूरे परिवार कुरुमबड़ा गाँव चले जाते है वह पर उनके चाचा रहते थे  और उनके पिता को काम मे लगा दिए जमींदार के यहा बिरसा मुंडा को बचपन मे बकरी , भेड़, गाय बैल चराने को मिलता है ।  लेकिन ये थे बहुत नटखट भेड़ बकरी को चराने के लिए भेजते थे ओर ये पेड़ों मे बैठ कर बाँसुरी बजाया करते थे । और इनके माता पिता परेशान होकर इनके मामा के गाँव आयुभातु गाँव  भेज देते है वहा पर एक सलगा  नाम कर गाँव के विधालय मे 2 वर्ष पढ़ाई  कीये और अपना गाँव चले गए । 
 

birsa munda biography in hindi:- बिरसा मुंडा पूरा करने के बाद गाँव आते है तब 

जब वो अपना गाँव या जाते तब देखते है कि उनके गाँव मे बहुत सारे घटनाए  हो रही थी । 
  • अंग्रेज रेल्वे के निर्माण के लिए जंगलों कि कटाई कर रहे थे आदिवासियों के घर उजड़े जा रहे थे । 
  • ब्रिटिश सरकार जमींदार , ठेकेदार हेतु ,बड़े व्यवसायी मिलकर आदिवासियों कई जमीन हड़प रहे थे । 
  •  आदिवासियों को अपने ही जमीन मे खेती करने के लिए जमीदार को tex देना पड़ रहा था 
  •   आदिवासियों जनता हर दिन आँरेजी हुकूमत , जमीदार ,सेथ , साहूकार इन लोगों से शोषित हो रहे थे । 
  •  आदिवासियों इनके नॉकर हुआ करते थे । 
  •  आदिवासि महिलाओ को बलात्कार होने पर केस मुकदमा किया जाने पर दो पछ का खर्च केस करने लावे को ही भुगतान करना पड़ता था । 
  • शादी समारोह जन्म मृत्यु भोजन करने के बाद  टैक्स देना पड़ रहा था । 
  • जमीदारों के लिए पालकी बनाकर उनकी कंधे मे लेकर यात्रा  करना पड़ रहा था । 
  • जंगलों कि जबरन कटाई , जानवरों का जब्ती कर लिया कर रहे थे । 
  • आवाज उठाने वाले को जान से मार देना आम बात था 
  • इसी महोल मे बड़े रहे थे झारखण्ड के जन नायक  बिरसा मुंडा  

birsa munda biography in hindi:- बिरसा मुंडा कि आगे कि पढ़ाई 

आगे की पढ़ाई के लिए चाइबसा इंग्लिश मिडिल स्कूल चले गए । और इस स्कूल मे पढ़ने के लिए लोगों को इसाई धर्म को अपनाना पड़ता था, और जब ये इसाई धर्म को अपनाते है तब इनका नाम पड़ जाता है बिरसा डेविड बाद मे बिरसा दाऊद बन जाता है , इसके गुरु जयपाल नाग ने उन्हे अपने धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने के लिए प्रेरित कीये थे, उन्हे ये बोले थे की आप अपने संस्कृत को कभी नहीं भूलना तब ये अपने साथ भागवत गीता और रामायण ले गए और वहा पर वो छुप - छुप कर पढ़ा करते थे,  बिरसा मुंडा वो स्कूल इस लिए गए थे की वो  जान सके कि अंग्रेज लोग कैसे इतने काम लोग होते हुवे भी लोगों को गुलाम बना रहे है, । 
और वहा पर पता चला कि उस स्कूल मे लोगों को अपने धर्म और संस्कृति के ऊपर भड़काया जा रहा था कि इस धरम के लोग ईमानदार नहीं होते है, चल कापट करते है, धोखेबाज लोग होते है, तुम लोग अगर इसाई बन जाओगे तो राजा बन जाओगे इस तरह के प्रवचन इसाई स्कूल मे सिखाया जाता था । 
उन्होंने चार साल तक ये सब बरदास कीये । और जब उनको लगता है मेरा शिक्षा अब ठीक ठाक है तब वे एक दिन अपने ही शिक्षक से भीड़ जाते है और बोलने लगते है कि हमारे आदिवासी समाज कि संस्कृति गलत नहीं है गलत हम हो तुम हमारे देश मे जल जंगल जमीन मे कब्जा करने आए हो और तुम हो गलत हमलोग नहीं है । और बिरसा मुंडा इतना बोल कर अपने गाँव चले जाते है । 

birsa munda biography in hindi बिरसा मुंडा जब घर आए तब 

जब बिरसा मुंडा घर गए तो अपने मा से बोले कि मा कुछ खाने के लिए दो तो उनके मा ने बोली कि बेटा अभी घर मे कुछ भी नहीं है तुम्हारा पापा गए है कुछ लाने के लिए जंगलों से फिर जंगल से कुछ जंगली फल लाते है और खाने को देते है । उस समय गाँव मे बहुत ही आकाल चल रहा था  जिसके करण  गाँव प्रति दिन लोग मर रहे  थे ।  और दूसरी तरफ अंध दिसवास था अंधविवास से पीछे नहीं हट रहे थे । अगर किसी घर मे किसी ओरत की मृत्य हो जाती थी तब उस मृत सरीर के साथ सोना का आभूसन दफनाना पड़ता था  जब ये सब बिरसा मुंडा देखते थे तब   उन्हे बहुत ही बुरा लगता था। सोचते थे कि लोग भूख से मार रहे ये सब हो रहा है तो उससे ये सब सहन नहीं हुआ  और वे उस आभूसन को निलकल शहूकर से बेच कर घर मे  पैसे देते है  तब उनके माँ को पता चल जाता है ये पैसे कहा से लाता है ।  इस बात से उनके माँ उसे  धके दे के घर से बाहर निकाल देती है ।  और बोलती है तुम मेरा बेटा नहीं है तुमको इसी लिए हम पढ़ने के लिए भेजे थे ।  बोलती है कि हमलोग भूखे मार जाएंगे लेकिन चोरी मकारी नहीं करेंगे । इस बात से बिरसा मुंडा को बहुत तकलीफ होता है ।और वो जंगलों मे चले जाते है ।  और  धयं  करना शुरू कर देते है । और उनके माँ - पिता जी उन्हे खोजने जाते है । 
                                                                                   उसी समय आते हे सिंघभोंगा  और बोलते है कि तुम ही हो आदिवासियों को  जाननायक जो लोग शोसीत हो रहे उन्हे बचाओ  ।  सिंघभोंगा आदिवासियों के भगवान माने जाते है । और जब ये सब ज्ञान मिल जाता है तब वे अपने घर लोट जाते है । 

birsa munda biography in hindi :- बिरसा मुंडा जब जंगलों से लोटे तब 

जब वे जंगलों से लोटे तब उनमे बहुत सारे परिवर्तन होने लगा जिन लोगों कि बीमारी होती थी उन लोगों  को चुने मात्रा से बीमारी ठीक होने लगी थी । और उन्हे घरती आबा बोलने लगे । और इस प्रकार वे काफी मशहूर हो गए । और जब सभी लोग उनको जानने लगते है तब सभी को प्रवचन देते है कि अपने धर्म और संस्कृति और जल जंगल जमीन को बचाए,  बोलते है कि अंग्रेज किस तरह से जल, जंगल, जमीन  लूट रहे है । और ये भी प्रवचन  देते है कि जो लोगों इसाई धर्म मे गए है वे सब वापस अपने धर्म मे लोट जाए कोई भी इसाई धर्म मे ना जाए । बिरसा भगवान बोलते थे कि तुम लोग नसा मत करो शराब मत पियो हंदीय मत पियो ये जीतने भी नसा करने वाले चीज है वे सब हम लोग को अंदर से खोखला कर रहा है । इन्ही सब कारणों से हम सब लोग अंग्रेजों का गुलाम बन कर रह गए है धीरे धीरे  सामान्य बिरसा से  वे धरती बाबा बन जाते है ।  
                                                     और अंग्रेज बिरसा मुंडा के लोकप्रियता से डर गए थे वेलोग सोचने लगे कि वे कौन सा एसा इंसान या गया जिसके आने मात्र से जनसेलाब हो जाता है, बिरसा मुंडा जहा भी जाते थे हजारों को भीड़ इकठा हो जाती थी ।  तब  अंग्रेजों ने एक साजिस रची वे लोग बोलने लगे कि  अगर एसा ही चलता रहा तो वे दिन दूर नहीं जब सारे आदिवासी विद्रोह कर सकते है, इसी लिए छोटा नागपूर के दरोगा को बिरसा मुंडा को जमीदार, ठेकेदार के मजदूरों को उकसाने, लोगों को  क्रिसवन धर्म से बिरसा धर्म मे शामिल करने और अंग्रेज सरकार के शासन के खिलाफ भड़काने के आरोप मे बिरसा मुंडा और उनके पिता सुगना मुंडा को को 24 अगस्त 1895 को गिरफ्तार कर 2 साल के लिए हजारीबाग जेल में कैद करने कि सजा  एंव 50 रुपया जुर्माना लगाती है । अगर 50 रुपया का जुर्माना 6 महीने के अंदर नहीं दे पाए तो इनको कारागार कि सजा काटनी पड़ेगी । 
  • हजारीबाग जेल मे ही उनके पिता कि मृत्यु हो जाती है । 
  • बिरसा के जेल जाने के बाद ब्रिटीस सरकार और जमीदारों का जुल्म और भी बढ़ जाता है । 
  • दूसरी तरफ बिरसा मुंडा का लोकप्रियता और भी बढ़ रहा था, लोग उसे भगवान लिए थे ।  

birsa munda biography in hindi:- 18 जनवरी 1898 इसवी  को बिरसा मुंडा रिहा हो जाते है । 

जब बिरसा मुंडा रिहा होते है तब देखते है कि लोग नसा करना छोड़ दिए है और क्रिसवन धर्म को भी ना के बराबर मन रहे थे और हजारों से बिरसा कि लोकप्रियता कई हजारों मे हो गाई थी । बिरसा मुंडा जब जेल गए थे और जो जनसेलाब छोड़ कर गए थे । वे अब माह जनसेलाब बन गाय था । और बिरसा मुंडा जेल से आते है तब पहले से अधिक गति से काम करने लगते है। बिरसा मुंडा के घटना से पहले भी सरदार आंदोलन हो चुकी थी, अब  बिरसा आंदोलन और सरदार आंदोलन दोनों एक साथ मिल कर बिरसा मुंडा 1899 इसवी मे पाँगुड़ा पर्वत पर एक बिशल बैठक बुलाते है और उस बैठक मे 7 हजार से भी अधिक लोग जाते है यही पर बिरसा मुंडा उलगुलान के साथ नारा देते है ।  उलगुलान का मतलब होता है ( कारांति)  और उस बैठक मे दो झण्डा ले के खड़े हो जाते है एक सफेद और दूसरा लाल और बोलते है किस झण्डा को काट दे अगर सफेद को काटेंगे तो हम लोग संत तरीके से लड़ेंगे और लाल को काटेंगे तो उग्रता के मार्ग मे चलेंगे तो सभी लोग बोलते है लाल और बिरसा मुंडा लाल झण्डा को काट कर और एक नारा देते है इसी तरह अंग्रेजों और जमीदारों का लाल रक्त बहेगा । 
  • उसके बाद कोई भी आदिवासी माँदर - ढोल  नहीं बजाएगा न कोई नाचेगा । 
  • कोई भी आदिवासी अपना बाल और दाढ़ी नहीं बनाएगा । 
  • और ओरते भी बालों मे कंघी और सात सिंगर नहीं करेगी । 
  • 24 दिसम्बर 1899 को की रात सभी अंग्रेज और जमीदार एक साथ एक जगह पर जसन मनाएगे और उसी दिन हमलोगों को उनलोगों पर हमला करना है । 
  • और उसके बात बिरसा मुंडा एक एटिहासिक नारा देते है" आबूआ राज एते जाना महारानी राज टुंडु जाना " इसका मतलब है रानी का राज्य समाप्त हो , हमारा राज्य स्थापित हो ।   
और इस बैठक के बिरसा के डल बहुत ही उग्र हो गए अंग्रेजों कि सिपाहियों को जहा तहा मरने लगे । और अंग्रेज सिपाही रात के समय बाहर नहीं निकलने लगे कियोकी बिरसा कि फोज रात मे मार करते थे, इससे अंग्रेज लोग भी बोखला  उठे  और वे लोग भी बिरसा कि फोज को मरने लगे । और अंग्रेजो  ने बिरसा दल के परमुख लोग को मार डाला हर दिन ये मुथफेड जारी थी एक दिन अंग्रेज मार रहे थे तो दूसरे ही दिन आदिवासी दल के लोग मार रहे थे,  ये सिलसिला  चल रहा था अंग्रेज सिपाही भेस बदल कर बिरसा के दल मे सामील हो जाते है, क्योंकि आदिवासी भी अंग्रेज सिपाही मे भर्ती थे , वे लोग भेस बदल कर सामील हो जाते है । और बिरसा के रणनीति को पता लगाने लगे, आगे कि बातों को पहले से ही जानने लगे, जब बिरसा दल प्रमुख लोग कि निधन हुआ तब बिरसा को बहुत ही चिंतित हो गए । और एक तत्कालीन बैठक बैठाते है, और इसी बैठक कि पता अंग्रेजी सरकार को पता चल जाती है । और अंग्रेज सरकार वहा पर चारों ओर से घेर कर फ़ेरिंग कर देते है उसमे काफी लोग मारे जाते है, वही पर बिरसा मुंडा को उनके लोग किसी तरह से बचा कर ले जाते है ।  जब कि बिरसा मुंडा जाना नहीं चाहते थे । 
          वहा पर हजारों लोग मारे जाते है । बिरसा मुंडा को किसी दूसरे गाँव मे सारण लेते है । तब अंग्रेज सरकार ने बिरसा मुंडा को पकड़वाने वाला को 500 रुपया का इनाम रखे रहते है । तो उन गाँव के लोग को लालच या जाती है और वे लोग बता देते है बिरसा मुंडा हमारे गाँव मे है । 
  • 3 फरवरी 1900 इसवी को  जिस गाँव मे सारण लिए थे उसी गाव के लोग बिरसा मुंडा को अंग्रेज को शोप देते है । 500 रुपया के लालच मे 
  • अंग्रेज बिरसा मुंडा को यातना देकर रांची जेल मे कैद कर देते है । 
  • जेल मे हेजा रोग के करण उनके मृत्यु हो जाती है । एसा अंग्रेज लोग बात देते है । 
  • लेकिन लोगों कि मानना है कि उन्हे जहर दे कर मार देते है । 
  • और उनके मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके परिवार को देने के बजाए अंग्रेज नदी के किनारे खुद जला देते है। 
  बिरसा मुंडा वे इंसान जो अपने जिंदगी शुरुआत से अंतिम क्षणों तक आदिवासी समाज के लिए लड़ता रहा ।  और बिरसा मुंडा के मृत्यु के बाद अंग्रेजों कि गुलामी छोड़कर वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम मे आगे बढ़ चढ़ कर भाग लेते है और इसी का परिणाम मे सन 1947 मे भारत को आजादी मिलता है । इस  तरह बिरसा मुंडा मार कर भी अमर हो गए  । जय हिन्द जय भारत , जय झारखण्ड , आप सभी को झारखण्ड कि जोहार । 

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  • बिरसा मुंडा का जन्म कब हुआ ? बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 मे
  • बिरसा मुंडा कहा के निवासी थे ? खूंटी जिला मे हुआ उलीहतू गाँव मे होता है । 
  • बिरसा मुंडा नाम बिरसा कैसे पड़ा ? बृहसपतिवार के दिन होता है इस लिए इसका नाम बिरसा रख देते है । 
  • बिरसा का नारा क्या था ?  आबूआ राज एते जाना महारानी राज टुंडु जाना " इसका मतलब है रानी का राज्य समाप्त हो , हमारा राज्य स्थापित हो । 
  • बिरसा मुंडा जंयती कब ? बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 मे
  • बिरसा मुंडा पिता का नाम क्या था ? सुगना मुंडा । 
  • बिरसा मुंडा का माता का नाम क्या था ? करमी हटु। 
  • बिरसा मुंडा कि शिक्षा ? सलगा  नाम कर गाँव के विधालय मे 2 वर्ष पढ़ाई  कीये और अपना गाँव चले गए और आगे की पढ़ाई के लिए चाइबसा इंग्लिश मिडिल स्कूल चले गए थे । 


Conclusion:- बिरसा मुंडा न केवल आदिवासी समाज का नेता थे बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इनके संघर्षील जीवन की कहानी में आज भी लोग एकता और न्याय का संदेश देते हैं कि बिरसा मुंडा किस तरह से आदिवासी समाज को एकता और मजबूत बनाने में कामयाब रहे । बिरसा मुंडा को इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में उनका नाम लिखा जाएगा । 









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