आज कि इस लेख मे आपलोगों को बताने जा वाले है, कि गीता सिर्फ किताब नहीं है वह एक सही गलत देखाने का रास्ता जैसे कि आपलोग कोई नई लैपटॉप लेते है तो, उसमे एक छोटा सा निर्देसका किताब रहता है, उसी प्रकार हम मनुष्यों को चलने और चलाने का निर्देस दिया हुआ है । Most Important Verse
- जगत मे प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी प्रकार कि निर्बलता आवश्य होगी, जैसे कोई बहुत तेजी से दोड़ नहीं पता तो कोई अधिक भार नहीं उठा पाता ऐसे अनेकों उदाहरण और भी है, क्या आप किसी एसे व्यक्ति को जानते हो जिसे सब कुछ प्राप्त हो, और हम जीवन कि उस एक निर्बलता को जीवन का केंद्र मानकर जीते है, इस करण वस ह्रदय मे दु:ख और आसंतोष रहता है सदा, निर्बलता मनुष्य को जन्म से या संजोग से प्राप्त होती है, किन्तु उस निर्बलता को मनुष्य का मन अपनी मर्यादा बना लेता है, किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हो जो अपने पुरूशार्त और श्रम से उस निर्बलता को पराजित कर देते है ।
- भविष्य का दूसरा नाम है संघर्ष ह्रदय मे कोई इकक्षा होती है और वो पूर्ण नहीं होती तो ह्रदय भविष्य कि योजना बनाता है भविष्य मे इकक्षा पूर्ण होगी ऐसे कल्पना करता रहता है, किन्तु जीवन ना तो भविष्य मे है और ना ही अतीत मे जीवन तो इस क्षण का नाम है, अर्थात इस क्षण का अनुभव ही जीवन का अनुभव है और हम ये जानते हुवे भी सत्य समझ नहीं पाते, या तो हम बीते हुवे समय के स्मरणों को घेर कर बैठे रहते है या फिर आने वाले समय के लिए हम योजनाए बनाते रहते है, और जीवन बीत जाता है ।
- ज्ञान प्राप्ति सदा ही समर्पण से होती है, ये हम सब जानते है किन्तु समर्पण का वास्तविक महत्व किया है, किया हमने कभी बिचार किया, मनुष्य का मन सदा ही ज्ञान प्राप्ति मे विभिन बाधायों को उत्पन करता है, कभी किसी दूसरे लोग से ईरश्र हो जाती है, कभी पढ़ाए हुवे पढ़ो पर संदेह जनता है, कभी गुरु द्वारा दिए हुवे दंड मन को आहनकार से भर देता है ।
- इस कलियुग में जो लोग पर्याप्त बुध्दिमान है, वे भगवान कि उनके पाषरदों सहित संकीर्तन - यज्ञ द्वारा पूजा करेंगे ।
- योग में सिध्द योगी अपने शरीर को त्यागने के स्थान तथा समय की व्यवस्था कर सकते है । अन्य मनुष्यों का इस पर कोई वश नहीं होता ।