वैज्ञानिक रूप से
तुलसी पूजन प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है , तुलसी एक एसा पौधा है , जो 20 घंटे आक्सिजन पर्दान करती है , और 4 घंटे ओज़ोन (O3) ओज़ोन देकर हमारी धरती को रहने योग्य बनती है , ओज़ोन देकर ओज़ोन लैअर को मजबूत बनती है , ओज़ोन लैअर यानि की सुरक्षा करने वाली परत ये सूर्य से आने वाली uv किरने को रोकती है । और वायुमंडल मे आने से रोकता है । सायद इसीलिए माता कहने का योग्य है ,अंग्रेज इसे मच्छर भागने का पौधा भी कहते है , जहा पर तुलसी का पौधा रहता है वहा पर दूर दूर तक मच्छर नहीं आती है , हमे तुलसी पौधे को हर रोज 5 पते खाने चाहिए मगर तुलसी को चाबाकर नहीं खाना एस इस लिए कियोकी इसमे murcy होता है , ये जब दांतों मे रह जाता है तब दांतों मे सड़न होने लगती है , इस लिए इसे सीधे निगल लेना चाहिए ।
पद्म पुराण के अनुसार तुलसी जी को माँ लक्ष्मी का रूप माना गया है और भगवान विष्णु ने शालग्राम का रूप लिए थे , एस क्यों हुआ था इसका वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण मे है , तुलसी पूजा करने से घर मे सन्ति और बनी समृद्धि रहती है , भगवान विष्णु को तुलसी बहुत पसंद है , उसके बिना कोई भोग स्वीकार नहीं करते ,